*अष्ट मूलगुण संस्कार महोत्सव का आयोजन हुआ*
*स्वास्तिक बनाकर मुनि श्री ने संस्कार किए
*श्री धर्मनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया*
*स्कूलों में पढ़ाई तो होती है लेकिन संस्कार नहीं मिल पाते हैं*
*200 बच्चों के संस्कार किए गए*
*दान बोलकर नहीं देना घाटे का सौदा है*
*बालिका दोनों कुल को संस्कारित करती है*
*नशीले पदार्थों का त्याग करना है ,ये जीवन में अमंगल करते हैं*
*भोजन करते समय टीवी, मोबाइल नहीं देखना चाहिए*
*हिंसक वीडियो गेम पब जी, फ्री फायर आदि का त्याग करना चाहिए*
*देवरी/ सागर।।*
महासमाधिधारक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य आचार्य श्री समय सागर जी महामुनिराज के आज्ञानुवर्ती प.पू. मुनिश्री विमलसागर जी महाराज , प.पू. मुनिश्री अनंत सागर जी महाराज , प.पू. मुनिश्री धर्म सागर जी महाराज
प.पू. मुनिश्री भाव सागर जी महाराज के सानिध्य मे ब्र. रजनीश भैया जी रहली ने किया। 10 जून 2024 को श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, देवरी जिला सागर (मध्य प्रदेश), में प्रातः काल की बेला में अष्ट मूल गुण संस्कार महोत्सव का आयोजन हुआ जिसके अंतर्गत प्रतिमा का अभिषेक हुआ विशिष्ट मन्त्रो से शांति धारा हुई , बच्चों के ऊपर मुनि श्री के द्वारा संस्कार प्रदान किए गए बच्चों ने गुल्लक की राशि से दान दिया, बालक जो चोटी सहित मुंडन करवाकर एवं सफेद धोती में थे उनको प्रदान किए गए । स्वास्तिक बनाकर मुनि श्री ने संस्कार किए श्री धर्मनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया, 200 बच्चों के संस्कार किए गए,शास्त्र अर्पण करने का सौभाग्य मनीष नायक ,रजनीश जैन, अनिल कुतपुरा, राजा बड़कुल, अजित पांडे को प्राप्त हुआ ,इस अवसर पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि मूलगुण संस्कार क्रिया से जिनके संस्कार होते हैं वह योग्य बनते हैं, जिसके जीवन में व्रत नहीं होते हैं उसका जीवन शून्य के समान होता है, स्कूलों में पढ़ाई तो होती है लेकिन संस्कार नहीं मिल पाते हैं बालिका दोनों कुल को संस्कारित करती है, संस्कारों का अर्थ होता है चमकाना, जैसे बर्तन धोने से चमकते हैं, पहले कुसंस्कारों का त्याग करना चाहिए , नशीले पदार्थों का त्याग करना है ,ये जीवन में अमंगल करते हैं, फास्ट फूड का त्याग करना है, आत्महत्या नहीं करेंगे यह नियम लें, हिंसक वीडियो गेम पब जी, फ्री फायर आदि का त्याग करना चाहिए, भोजन करते समय टीवी, मोबाइल नहीं देखना चाहिए , संस्कारों का प्रभाव पड़ता है, यह विशेष बालक हैं जो, अपने आप में शूरवीर बालक हैं ,अपने बालो (केशों) का समर्पण कर देना शूरवीर का कार्य होता है, इन्होंने बहुत बड़ा कार्य किया है, खोटी संगति से बचना है ,अच्छी संगति चंदन जैसी होती है, इन बच्चों पर थोड़ा सा भी खर्च करेंगे तो असंख्यात गुना पुण्य का अर्जन होगा, प्रभु के लिए जो धन ,संपत्ति दे दी जाती है फिर इस पर अपना अधिकार नहीं रखना चाहिए ,दान देने के बाद हर्ष मनाना चाहिए, दान बोलकर नहीं देना घाटे का सौदा है, वह आगे दरिद्र बनता है, मुनि श्री अनंत सागर महाराज जी ने कहा कि इस पर्याय में पुण्य के कार्य करना चाहिए, स्कूलों में पढ़ाई तो होती है लेकिन संस्कार नहीं मिल पाते हैं , 5 प्रतिभास्थली में बालिकाओं के लिए शिक्षा के साथ संस्कार दिए जाते हैं , यह हर्ष का विषय है कि बच्चों ने नियम लिए हैं ,नियम अपना होता है कोई देखे या ना देखें, अपने जीवन को नियमों से जोड़ना चाहिए ,आगामी जीवन बिना नियम के सुंदर बनने वाला नहीं है ,अच्छी संगति करें। मुनि श्री भावसागर जी महाराज ने कहा कि मूल गुण संस्कार इंदौर, घाटोल (राजस्थान) रहली के बाद यहां हो रहे हैं।
*इंडिया न्यूज़ 24 बुंदेली मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ देवरी से निखिल सोधिया की रिपोर्ट..*