*भगवान श्री राम ने प्रयागराज के संगम तट से शुरू की थी पिंडदान की प्रथा: लंका विजय कर वापस लौटने के बाद राम ने अपने पिता दशरथ का पहला पिंडदान संगम तट पर किया*
*!!.पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए मुक्ति का द्वार पिंडदान.!!*
प्रयागराज इलाहाबाद में सनातन धर्म से पिंडदान की प्रथा आज से नहीं बल्कि सतयुग से चली आ रही है l मान्यता है कि लंका विजय करने के बाद भगवान श्री राम जब माता सीता और लक्ष्मण के साथ लौटे थे तो उन्होंने पहला पिंडदान अपने पिता राजा दशरथ का प्रयागराज में किया था l उसी के बाद से हिंदू धर्म में पिंडदान की प्रथा की शुरुआत हुई l कहा जाता है कि पहला पिंडदान प्रयागराज में किया जाता है दूसरा काशी में और तीसरा गया धाम में, प्रयागराज को भगवान विष्णु का मुख कहा गया है और काशी भगवान विष्णु का पेट है तो वहीं गया धाम भगवान विष्णु के चरण है l अंतिम पिंडदान वहां करने के बाद मृतकों की आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है l
संगम घाट पर मौजूद पुरोहितों ने बताया कि यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है l दूर-दूर से लोग यहां पिंडदान करने के लिए आते हैं l
यह प्रथा भगवान श्री राम के समय से चली आ रही है l रावण का वध करने के बाद जब प्रभु लंका विजय कर वापस लौटे तो उन्होंने अपने पिता राजा दशरथ का पहला पिंड दान संगम तट पर प्रयागराज में किया था और दूसरा पिंडदान काशी में और अंतिम पिंडदान गया धाम में किया l जिसके बाद से यह प्रथा सनातन धर्म के लोग निभाते आ रहे हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए पिंडदान करते हैं., indian nude 24 Sagar Se ramgopal kushvaha Ki report